एक्टर परवीन डबास का 21 सितंबर को एक भयानक एक्सीडेंट हुआ था, हालांकि अब उनकी सेहत में सुधार है. एक्टर अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर भी आ चुके हैं. उन्होंने इंडिया टुडे से खास बातचीत की और अपने इस इंसीडेंट के बारे में बताया, और साथ ही जिक्र किया कि बेहोशी की हालत में भी वो अपना ब्लड टेस्ट कराने पर तुले हुए थे. ऐसा क्यों आखिर ये भी उन्होंने रिवील किया.
परवीन ने आईसीयू में भी कुछ समय रहे थे, हालांकि अब वो ठीक हो रहे हैं, साथ ही चक्कर, सिरदर्द और चोट के बाद होने वाली दिक्कतों के लिए दवाएं भी ले रहे हैं. इंडिया टुडे से खास बातचीत में उन्होंने कहा, "पर्सनली कहूं तो, मुझे लगता है कि मैं तेजी से ठीक हो रहा हूं. जबकि डॉक्टरों ने एक महीने के बारे में कहा है, मुझे 10 दिनों में ठीक हो जाना चाहिए.''
अंधेरे में भारी चीज से टकराए परवीन
हालांकि परवीन को उस भयानक दुर्घटना के बारे में सोचना पसंद नहीं है, फिर भी परवीन ने हमसे शेयर किया कि कैसे दूसरी कार की हाई बीम ने उसे अंधा कर दिया था. एक्टर ने बताया कि उन्होंने अक्सर देखा है कि कैसे हर कोई इस लाइट का इस्तेमाल करता है जो एक खतरनाक आदत है. वो बोले- ये गाड़ी चलाने का एक सेलफिश तरीका है. मैं भाग्यशाली था कि मुझे कोई गंभीर चोट नहीं लगी या किसी और को चोट नहीं लगी. लेकिन ये हाई बीम सड़क पर दुर्घटनाएं पैदा कर सकती हैं. जब मैं घर वापस आ रहा था, तब अंधेरा था और लाइट से अंधे होने के कारण मैं सड़क के बीच में किसी चीज से टकरा गया. जब वो उड़कर नीचे गिरा, तभी मुझे एहसास हुआ कि वो पानी से भरा एक बड़ा ड्रम था, जिसे डिवाइडर के तौर पर रखा गया था. अगर दूसरी कार की लाइट नहीं होती, तो मुझे ये सब नहीं सहना पड़ता.
उन्होंने याद किया कि कैसे दो लड़कों ने उन्हें बचाया और अस्पताल पहुंचाया. दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद परवीन की पत्नी, एक्ट्रेस प्रीति झांगियानी, उनकी बहन और भाई एमरजेंसी में पहुंचे. परवीन ने कहा कि उन लड़कों ने उन्हें अपना नाम नहीं बताया. मैं मीडिया के माध्यम से उन तक पहुंचना चाहता हूं. वो मुझे डीएम कर सकते हैं या मैसेज भेज सकते हैं. मैं उन्हें बाहर ले जाना पसंद करूंगा.
नशे में नहीं थे परवीन
जब परवीन इमरजेंसी में थे, तो पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि दुर्घटना के दौरान वो नशे में थे. इस बारे में बात करते हुए, परवीन डबास ने सहमति जताई कि दुर्घटना के दौरान सबसे पहला एग्जाम्पल यही होता है कि ड्राइवर नशे में था. ''मुझे याद है कि जब मैं होश में आ रहा था और बेहोश हो रहा था, तब भी मेरे मुंह से सिर्फ यही शब्द निकल रहे थे- 'मेरा ब्लड टेस्ट कर लो'. डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें शराब की गंध नहीं आ रही थी, लेकिन मैं इसे कागज पर लिखवाना चाहता था. सिर्फ ये दावा करना कि मैं शराब से दूर था, काफी नहीं होता, इसलिए जब पैथोलॉजी रिपोर्ट आई, तो मैं शांत था. मैं नहीं चाहता था कि कोई कहे कि के 'पी के गाड़ी ठोक दी.'
बेटों से इमोशनल बॉन्ड
परवीन ने साथ ही बेटों के रिएक्शन पर बात की और बताया कि बड़ा बेटा चीजों को समझ जाता है लेकिन छोटा बेटा थोड़ा ज्यादा इमोशनल है, उसे तो लगा मैं नहीं रहा. ''वो काफी छोटा है और उसे नहीं पता था कि सिचुएशन को कैसे संभालना है. वो हिल गया था लेकिन उसे इसकी आदत हो गई. मुझे लगता है कि बच्चे बहुत मजबूत और लचीले होते हैं और परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढाल लेते हैं. वो दोनों अपने पिता को अच्छा महसूस करते देखकर खुश थे, और मेरे लिए यही सब कुछ है.
साथ खड़ी रहीं प्रीति
इस बात पर चर्चा करते हुए कि कैसे उनकी पत्नी प्रीति झांगियानी हर समय उनके साथ खड़ी रहीं, परवीन डबास ने कहा, "मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि वो मेरे साथ थीं. मुझे लगता है कि यही कारण है कि मैं पहली बार उनकी ओर अट्रैक्ट हुआ था. वहाो बहुत सारी खूबसूरत महिलाएं हैं, लेकिन वो जिस तरह की इंसान हैं, उसने मेरा दिल जीत लिया. प्रीति बहुत उदार और शांत हैं और उनकी आत्मा बहुत खूबसूरत है. वो सभी के प्रति बहुत दयालु हैं. जब मैं आईसीयू में था, तो वो सभी को जवाब दे रही थीं और खुद ही सब कुछ संभाल रही थीं. वो सचमुच मेरी बेटर-हाल्फ हैं.''
जब टूटने लग हिम्मत
खोसला का घोसला फेम एक्टर ने एंड नोट पर शेयर किया कि वो शुरुआत में कितने डरे हुए थे. "शुरुआती कुछ दिन मैं डरा हुआ था. खास तौर पर पहले दिन जब मुझे कार से बाहर निकाला गया और बाद में, मैंने पाया कि मैं बेहोश था. मुझे इसका पता नहीं था. चक्कर आने के कारण मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था. मेरा पूरा शरीर भी दर्द कर रहा था और मुझे चिंता थी कि कहीं मेरी कोई हड्डी न टूट गई हो. शुक्र है कि मैं एक जाट हूं और मेरा शरीर भी मजबूत है, जिसने मुझे इससे उबरने में मदद की. लेकिन आईसीयू में, जब आप इन मशीनों से जुड़े होते हैं, और ऐसे लोगों के आसपास होते हैं जो दुर्भाग्य से अपने जीवन के अंतिम चरण में होते हैं. इसलिए, मैंने अपने डॉक्टरों से मुझे बाहर शिफ्ट करने के लिए कहा, ताकि मैं मानसिक रूप से बेहतर महसूस करूं. मुझे लगता है कि मैं जल्दी घर भी पहुंच गया क्योंकि घर का माहौल बहुत ज्यादा आरामदायक होता है, और आपको बेहतर तरीके से ठीक होने में मदद करता है."
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